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यादों के झरोखे से लेखनी कहानी मेरी डायरी-14-Nov-2022 भाग 30

   

          शनि शिंगनापुर की यात्रा
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  नासिक मे हमने और भी कयी स्थानों पर घूमे और दर्शन किए इसके बाद हम वहाँ से शनि शिंगना पुर के लिए  गये। यह एक गाँव है जो सिरडी से लगभग 70 किलोमीटर दूर है।

           शनि शिंगणापुर मंदिर एक प्रसिद्ध मंदिर है जो अहमदनगर जिले में शिरडी से 70 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह लोकप्रिय मंदिर शनि ग्रह से जुड़े लोकप्रिय हिंदू देवता भगवान शनिदेव को समर्पित है।

               शनिदेव के इस मंदिर को सजीव मंदिर माना जाता है। इसका मतलब है कि इस मंदिर के देवता (भगवान) अभी भी यहां मौजूद हैं। वह अभी भी काले पत्थर में रहते हैं। एक कारण ये भी है ये मंदिर भारत के लगभग हर हिस्से में बहुत प्रसिद्ध है। यह सत्य है कि भगवान शनि स्वयं काले पत्थर के रूप में पृथ्वी से अवतरित हुए थे। खैर, शनि भगवान कब काली मूर्ति के रूप में पृथ्वी से प्रकट हुए, इसका सही समय कोई नहीं जानता। लेकिन फिर भी, यह माना जाता है कि कलियुग की शुरुआत के दौरान कुछ चरवाहों को ये काली मूर्ति मिली थी।

             शनि शिंगणापुर को  एकमात्र ऐसे गांव के रूप में जाना जाता है जहां घरों में दरवाजे और ताले नहीं लगाए जाते हैं और सबसे दिलचस्प बात तो ये है कि गांव में चोरी भी नहीं होती है। यहां तक कि गांव में राष्ट्रीयकृत यूको बैंक की शाखा के भी दरवाजों पर ताले नहीं लगाए जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि शनिदेव द्वारा सुरक्षित गांव में चोर चोरी नहीं कर सकते, और जो कोई भी चोरी करने का प्रयास करता है उसे दैवीय दंड मिल जाता है।

            शनि शिंगणापुर मंदिर में भगवान शनि की मूर्ति खुले आसमान के नीचे है। आप सोच रहे होंगे कि ऐसा क्यों है? इसके पीछे एक छोटी सी कहानी है। जब मूर्ति चरवाहों को मिली, उस रात भगवान शनि एक चरवाहे के सपने में प्रकट हुए। और उसे मूर्ति की पूजा करने और पूजा करने के तरीकों के बारे में बताया। तब चरवाहों ने भगवान शनि से पूछा कि क्या उन्हें मूर्ति के लिए मंदिर बनाना चाहिए। इस पर शनिदेव ने उत्तर दिया कि छत की कोई आवश्यकता नहीं है। सारा आकाश मेरी छत है। यही कारण है कि भगवान शनि की काली प्रतिमा आज भी खुले आसमान के नीचे है।

     पहले इस मन्दिर के गर्भ गृह में औरतौ के प्रवेश पर पावन्दी थी परन्तु अब ऐसा नहीं है।

  यहाँ से हमने दर्शन करने के बाद   सिरडी  के लिए प्रस्थान किया।

यादों के झरोखे से २०२२
नरेश शर्मा " पचौरी "

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3 Comments

Radhika

05-Mar-2023 08:00 PM

Nice

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shweta soni

03-Mar-2023 10:01 PM

👌👌

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अदिति झा

03-Mar-2023 02:26 PM

Nice 👍🏼

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